*क्रीं कुण्ड , शिवाला, भेलूपुर , वाराणसी
बाबा कीनाराम ने न तो स्वयं कोई आत्मचरित लिखा है और न उनके भक्तों तथा अनुयायियों ने ही कोई विशेष सामग्री छोड़ी है, जिससे उनकी जीवनी की प्रामाणिक जानकारी हो सके । जो जानकारी आज उपलब्ध है वह मुख्य रुप से विभिन्न आश्रमों में लगे शिलालेख , जनश्रुतियाँ, और बाबा कीनाराम जी द्वारा रचित ग्रंथों से प्राप्त की गई है । अब तक बाबा कीनाराम द्वारा रचित अनेक पुस्तकों में से केवल पाँच पुस्तकें ही प्रकाशित हुई हैं ।( विवेकसार, रामगीता, रामरसाल, गीतवली, और उन्मुनीराम ) । बाबा कीनाराम जी की जगत प्रसिद्ध गद्दी "क्री कुण्ड" शिवाला, वाराणसी में स्थित है । इस स्थल में लगे शिलालेख से इस गद्दी की महन्त परम्परा की जानकारी मिलती है । शिलालेख इस प्रकार हैः
"महाराज कीनाराम
गिरनार स्थान कृम कुण्ड बी. ३।३३५ भेलूपुर वाराणसी
१,बाबा कालूराम २,महाराज कीनाराम ३, बाबा बीजाराम ४, बाबा धौतारराम ५, बाबा गइबीराम ६, बाबा भवानीराम ७,बाबा जयनारायणराम ८, बाबा मथुराराम ९,बाबा सरयूराम १० बाबा दलसिंगारराम ११, बाबा राजेश्वरराम
सन् १९५८ से वार्षिकोत्सव के अवसर पर वेश्याओं का नाच गाना निषिद्ध ।"
क्रीं कुण्ड स्थल में कुण्ड के अलावा कई शताब्दियों से जलती अखण्ड धूनी, आश्रम परिसर, तथा अनेक समाधियाँ हैं ।
अखन्ड धूनी महन्त गद्दी के सामने दालान में है । इसे सदियों से श्मशान से लाई लकड़ियों से प्रज्वलित रखा जा रहा है । चिरकाल से जलती इस धूनी को कई उच्च साधकों की तपस्या व योग देने का अवसर मिला है । इस धूनी से कोई दुर्गंध नहीं आती । साधुओं द्वारा दी गई इस धूनी की विभूति से अनेक रोग शोक दूर भाग जाते हैं ।
बाबा कीनाराम ने न तो स्वयं कोई आत्मचरित लिखा है और न उनके भक्तों तथा अनुयायियों ने ही कोई विशेष सामग्री छोड़ी है, जिससे उनकी जीवनी की प्रामाणिक जानकारी हो सके । जो जानकारी आज उपलब्ध है वह मुख्य रुप से विभिन्न आश्रमों में लगे शिलालेख , जनश्रुतियाँ, और बाबा कीनाराम जी द्वारा रचित ग्रंथों से प्राप्त की गई है । अब तक बाबा कीनाराम द्वारा रचित अनेक पुस्तकों में से केवल पाँच पुस्तकें ही प्रकाशित हुई हैं ।( विवेकसार, रामगीता, रामरसाल, गीतवली, और उन्मुनीराम ) । बाबा कीनाराम जी की जगत प्रसिद्ध गद्दी "क्री कुण्ड" शिवाला, वाराणसी में स्थित है । इस स्थल में लगे शिलालेख से इस गद्दी की महन्त परम्परा की जानकारी मिलती है । शिलालेख इस प्रकार हैः
"महाराज कीनाराम
गिरनार स्थान कृम कुण्ड बी. ३।३३५ भेलूपुर वाराणसी
१,बाबा कालूराम २,महाराज कीनाराम ३, बाबा बीजाराम ४, बाबा धौतारराम ५, बाबा गइबीराम ६, बाबा भवानीराम ७,बाबा जयनारायणराम ८, बाबा मथुराराम ९,बाबा सरयूराम १० बाबा दलसिंगारराम ११, बाबा राजेश्वरराम
सन् १९५८ से वार्षिकोत्सव के अवसर पर वेश्याओं का नाच गाना निषिद्ध ।"
क्रीं कुण्ड स्थल में कुण्ड के अलावा कई शताब्दियों से जलती अखण्ड धूनी, आश्रम परिसर, तथा अनेक समाधियाँ हैं ।
अखन्ड धूनी महन्त गद्दी के सामने दालान में है । इसे सदियों से श्मशान से लाई लकड़ियों से प्रज्वलित रखा जा रहा है । चिरकाल से जलती इस धूनी को कई उच्च साधकों की तपस्या व योग देने का अवसर मिला है । इस धूनी से कोई दुर्गंध नहीं आती । साधुओं द्वारा दी गई इस धूनी की विभूति से अनेक रोग शोक दूर भाग जाते हैं ।
अखण्ड धूनी,
इस स्थल में औघड़ों का सिंहासन भी प्राँगण के मध्य में रखा है । इसे बाबा कीनाराम जी का तपासन भी कहा जाता है
इस स्थल में औघड़ों का सिंहासन भी प्राँगण के मध्य में रखा है । इसे बाबा कीनाराम जी का तपासन भी कहा जाता है
कीनाराम जी का तपासन
साधकों के लिये इस स्थल के गर्भगृह में भी पूजा करने के लिये काली मन्दिर बना है । साधकों को बाहरी आवागमन से विध्न उपस्थित नहीं होता, अतः यह गोप्य पूजा स्थल भी है ।
क्रमशः
साधकों के लिये इस स्थल के गर्भगृह में भी पूजा करने के लिये काली मन्दिर बना है । साधकों को बाहरी आवागमन से विध्न उपस्थित नहीं होता, अतः यह गोप्य पूजा स्थल भी है ।
क्रमशः
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