रविवार, जुलाई 18, 2010

अघोरेश्वर भगवान राम जीः शिष्य समुदाय

अघोरेश्वर को पहचानकर उनकी शरण में आने वाले योगियों में से कुछ लोगों की विचित्रता ने जन मानस को गहरे तक प्रभावित किया था । उन्हीं बीर साधकों, सिद्धों, अवधूत पद पर प्रतिष्ठित औघड़ों के विषय में हम यहाँ चर्चा कर रहे हैं । अघोरेश्वर का आशीष इन साधकों को कितनी ऊँचाई प्रदान किया  जानने लायक है ।

तपसी बाबा जी

छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में उँचे उँचे पर्वतों की उपत्यका में बगीचा नामक एक कस्बा बसा है । यहाँ की जलवायू पूरे छत्तीसगढ़ से अलग है । सभी दिशाओं में स्थित उँचे उँचे पर्वतों के कारण यहाँ सूर्योदय देर से तथा सूर्यास्त जल्दी हो जाता है । यहाँ की भूमि पर्वतों से उतरने वाली प्राकृतिक खाद से उपजाऊ तथा झरनों के जल से सिंचित है । पर्वतों से छनकर आती शीतल एवँ मन्द बयार इस क्षेत्र को निवास हेतु सुखकर एवँ स्वाश्थ्यप्रद बनाती है । इस क्षेत्र में ही एक आश्रम और है, जिसे कैलाशगुफा कहा जाता है । इस आश्रम की स्थापना सँत गहिरा गुरु जी महाराज ने किया था । आश्रम के अलावा देव वाणी संस्कृत के पठन पाठन हेतु एक रेसिडेंन्सियल स्कूल की  स्थापना  भी गहिरा गुरु जी ने किया है ।

बगीचा कस्बे के बीच में एक छोटा परन्तु सुन्दर सा आश्रम है । इसी आश्रम में तपसी बाबा निवास करते थे । क्षेत्र की जनता में बाबा का बड़ा सम्मान था । 

कहते हैं बाबा अपनी युवावस्था में ही गृह त्याग कर सन्यास ग्रहण कर लिये थे । साधना के क्रम में उन्होने सँकल्प लेकर चित्रकूट में भगवान काँतानाथ जी की परिक्रमा करने लगे । आपने सँकल्प बारह वर्ष की परिक्रमा का लिया था और परिक्रमा लगातार बारह वर्षोँ तक चलती भी रही थी । अभी परिक्रमा को  बारह वर्ष पूर्ण होने में तीन दिन शेष रह गये थे कि इस कठोर तपश्चर्या के सुफल के रुप में आपको अघोरेश्वर भगवान राम जी का दर्शन प्राप्त हुआ । आपने अघोरेश्वर को पहचान लिया । आपने इतने वर्षों की कठोर तपश्चर्या , जिसे पूर्ण होने में मात्र तीन दिन ही शेष थे, छोड़ दिया और अघोरेश्वर का अनुगमन करने लगे । अघोरेश्वर की कृपा पाकर आपने कुछ ही समय में अपना इष्ट प्राप्त कर लिया । 

बाबा अब समाधि ले चुके हैं ।

क्रमशः



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