सोमवार, सितंबर 28, 2009
क्रींकुण्ड गद्दी के चौथे महन्थ बाबा धौतार राम
अघोर परम्परा में जात पाँत के भेदभाव के लिये किंचित मात्र भी स्थान नहीं है । अघोराचार्यों ने जाति, धर्म, लिंग का भेदभाव न करते हुए शिष्य बनाया तथा ब्रम्हज्ञान का उपदेश दिया । आज भी यह धारा अविच्छिन्न गति से चलती चली आ रही है । बाबा बीजाराम जी के बाद क्रींकुण्ड की गद्दी पर चौथे महंथ के रुप में बाबा धौतार राम जी बैठे । आप ब्राह्मण कुमार थे । एक कलवार आचार्य के बाद इस अघोरपीठ पर एक ब्राह्मण कुमार का महंथ अभिषिक्त होना अपने आप में एक बड़ी बात है । बाबा धौतारराम के विषय में कोइ भी जानकारी उपलब्ध नहीं है । बाबा के प्रकरण में "आत्म चरितं न प्रकाशयेत " यह उक्ति शब्दशः चरितार्थ होती है ।
क्रमशः
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
aghorpath ke baare mai pooree jaankari dene ki krapa kare.
जवाब देंहटाएंनवीन जी ,
जवाब देंहटाएंअघोरपथ के विषय में विवरण सहज उपलब्ध नहीं हैं । मेरा प्रयास है कि अधिकतम सही सही जानकारी दिया जाय । समय तो लगेगा ही, धीरज के साथ मेरे साथ बढते चलें । बाकी प्रभु इच्छा ।