सोमवार, अक्तूबर 05, 2009

क्रींकुण्ड के आठवें, नवें और दसवें महंथ

बाबा मथुरा राम
बाबा जयनारायण राम जी के परदा करने के बाद आप महंथ गद्दी पर बैठे । आप इस गद्दी के आठवें महंथ थे । औघड़ दीक्षा के पूर्व आपकी जाति कुम्हार थी । आपकी रुचि साधना में अत्यधिक होने के कारण आश्रम की उन्नति की ओर कम ध्यान दे पाते थे । आपके विषय में कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं हो पा रही है ।
बाबा सरयू राम
बाबा मथुरा राम के बाद नवें महंथ बाबा सरयू राम जी हुए । कहा जाता है कि आपका जन्म ब्राह्मण कुल में हुआ था और जन्म स्थान जिला जौनपुर का कोई गाँव माना जाता है । आपके बाद उक्त ब्राह्मण कुल में अनेक औघड़ हुए । आप सदैव ब्रम्हानन्द में डूबे रहने वाले महात्मा थे । आपके विषय में भी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं हो पा रही है ।
बाबा दलसिंगार राम
क्रीं कुण्ड गद्दी के दसवें महंथ के रुप में बाबा सरयू राम जी के परदा करने के बाद आप प्रतिष्ठित हुए । आपका जन्म वाराणसी में ही हुआ था । आप उच्चकुलीन क्षत्रीय थे । आप महंथ बनने के पूर्व गंगा जी के किनारे कुटी बनाकर एकाँत साधना में लीन रहा करते थे । आपकी महंथ पद प्राप्ति की स्पृहा नहीं थी , परन्तु दैवयोगवसात् आपको महंथ बनना पड़ा । आप महंथ बनने के बाद भी जाग्रत समाधि की अवस्था में रहते थे । आप शिष्य बनाने, प्रचार प्रसार करने के कार्यों के लिये समय नहीं निकाल पाते थे । आपके विषय में इससे अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है ।
क्रमशः

3 टिप्‍पणियां:

  1. क्यों लोगों के माल पर मौज उड़ानेवाले टुच्चे बाबाओं पे लिख रहे हो? इन्होने भारतीय समाज को दिया ही क्या है?

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  2. बेनामी जी
    ईश्वर आपको सदबुद्धि दे । आप ऐसे विषय में टिप्पणी दे रहे हैं, जिसके बारे में मेरा अनुमान है कि आपकी जानकारी नगण्य है । धीरज रखिये इन अघोराचार्यों के सामाजिक अवदान पर भी सामग्री पेश होगी ।

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  3. अवधूत सेवा में जुटे महानुभावों को जाने बिना कुछ भी लिखना मूल्यांकन करना हम मन्दबुदि
    के ल

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