मंगलवार, सितंबर 21, 2010

अघोरेश्वर भगवान राम जी के मुड़िया साधु शिष्य

औघड़ सिंह शावक राम जी

सन् १९६६ ई० में अघोरेश्वर भगवान राम जी ने प्रथम सन्यासी शिष्य के रुप में औघड़ सिंह शावक राम जी को सँस्कारित किया था । पूर्व में आपके विषय में प्राप्त समस्त जानकारी दी जा चुकी है । साधना की दस वर्ष की अवधि बीत जाने के पश्चात आपको गुरु ने मुक्त कर दिया । आप यात्रा पर निकल पड़े । आपने सन् १९७७ ई० में दिलदारनगर , गाजीपुर में गिरनार आश्रम की स्थापना कर " अघोर सेवा मण्डल " नामक एक संस्था बनाया । इसके पश्चात आपने अनेक जगहों पर आश्रम, कुटिया का निर्माण कराया । आपके द्वारा स्थापित अघोर सेवा मण्डल प्राकृतिक विपदा के समय सेवा का उत्कृष्ठ उदाहरण प्रस्तुत करता रहा है ।

अवधूत सिंह शावक राम जी ने अपना अँतिम समय मसूरी , हिमाचल प्रदेश में निर्मित " हिमालय की गोद" आश्रम में बिताया । ११ सितम्बर सन् २००२ ई० को आपने शिवलोक गमन किया ।

औघड़ सिंह शावक राम जी



अवधूत प्रियदर्शी राम जी

अघोरेश्वर भगवान राम जी के सानिध्य में अनगिनत लोग आये । उनमें गृहस्थ थे, साधु थे, श्रद्धालु थे, भक्त थे, सेवक थे, योगी थे, तान्त्रिक थे, मान्त्रिक थे, हिन्दु के अलावा मुसलमान थे, क्रिस्चियन थे, सिक्ख थे, बौद्ध थे, पारसी थे, भारतीयों के अलावा अफगान थे, इटेलियन थे, अमरीकी थे, अँग्रेज थे, और न जाने कौन कौन थे । अघोरेश्वर देश, काल, जाति, धर्म, सम्प्रदाय आदि से उपर थे । वे ब्रह्म में सदैव रमण करने वाले चिदानन्द स्वरुप थे ।

सन् १९८० ई० में एक किशोर अघोरेश्वर की शरण में आये । किशोर का दीक्षा सँस्कार हुआ और अघोरेश्वर ने नामकरण किया प्रियदर्शी राम । अघोरेश्वर के साथ लम्बे समय तक अवधूत प्रियदर्शी राम जी रहे हैं । अघोरेश्वर अघोर साधना, समाज, तथा जीवन दर्शन के अनेक विषयों में दर्शी जी को सम्बोधित कर प्रवचन दिया है । इन प्रवचनों को लिपिबद्ध किया गया और सर्वेश्वरी समूह द्वारा अनेक ग्रँथों के रुप में प्रकाशित कर साधकों, श्रद्धालुओं को सुलभ कराया गया है । अवधूत प्रियदर्शी राम जी प्रारँभ से ही गुरु भक्त एवँ नैष्ठिक साधक रहे हैं । अघोरेश्वर के श्री चरणों में बैठकर अवधूत प्रियदर्शी राम जी ने मानस तीर्थों का अवगाहन तो किया ही किया , मानसिक पारमिता भी सिद्ध करने में लगे रहे । उन्होंने अघोरेश्वर के आदेशानुसार देश के स्थावर और जँगम तीर्थों का साक्षात्कार भी किया ।

आजकल आप अपने बनोरा, रेणुकूट, शिवरीनारायण, आदर, डभरा तथा आश्रमों में रमते रहते हैं ।

अघोरेश्वर के प्रिय मुड़िया योगी अवधूत प्रियदर्शी राम जी के जीवन वृत्त के विषय में अधिकाँश जानकारी के अभाव में हम यहाँ पर अभी इतना लिखकर ही सन्तोष कर रहे हैं । जानकारी एकत्र करने की प्रक्रिया जारी है । हम बाद में आपके विषय में अलग से अधिकतम जानकारी देने का प्रयास करेंगे ।

हमारा योगीराज, अवधूत बाबा प्रियदर्शी राम जी के श्री चरणों में कोटिशः प्रणाम ।

अवधूत प्रियदर्शी राम जी


क्रमशः